बिन बोले हमारे मन की हर बात जो जान लेते हैं,
वो पापा ही होते हैं जो जीत कर भी, हमसे हार मान लेते हैं
कितना करते हमारे लिए पर नहीं कभी जताते हैं,
लाख उलझनें मन में रख, हमारी हर उलझन सुलझाते हैं
लगे खरोच या हो दुर्घटना हम तो बस माँ-माँ ही चिल्लाते हैं,
बिन कहे फ़िर भी पापा सब काम छोड़ चले आते हैं
पिता सहारा, पिता सम्मान , पिता ही घर की हिम्मत है,
सदा सलामत रहें पिता सबके रब से बस इतनी सी ही मन्नत है
सच है माता-पिता के गुणों का नहीं कोई बखान,
jeevya❤️
जग जननी माँ का तो अक्सर होता है गुणगान,
क्यों न आज से करें अपने पिता का भी आभार……………..2
आज यह कविता अपने पिता के साथ जरूर शेयर करें।
एक मार्मिक रचना 👌👌
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